- Mahesh Beldar
Gautam Buddha's story on importance of patience
धीरज का फल मीठा होता हे यह कहावत तो आपने सुनी होगी, अब यह फल मीठा कैसे होता हे इस बात को भी आप आज जान लीजिये.

Patience importance in life
Gautam Buddha एकबार भ्रमण कर रहे थे तब उन्हें रास्ते में प्यास लगी, उन्होंने अपने शिष्य आनंद को नजदीक में बहते झरने में से पानी लाने को कहा, आनंद पानी लेने गया, वह जब झरने के पास पंहुचा तो उसने देखा की थोड़ी देर पहले झरने में से बेल गाडिया निलकी होगी जिस वजह से झरने का पूरा पानी खराब हो गया था, आनंद खाली हाथ वापिस लौटा और Buddha से कहा की पानी किसी दूसरी जगह से लाना पड़ेगा, वहा तो पूरा पानी खराब हे.
Buddha ने आनंद को कहा की उसी झरने से पानी भरकर लाओ, आनंद वापस गया, इसबार भी पानी वैसा का वैसा ही था जैसा पहले था, वह वापस खाली हाथ ही आया, तीसरी बार और चौथी बार भी यही हुआ, Buddha ने पाचवी बार भी उसे यही आज्ञा दी तब उसे बुरा लगा, लेकिन Buddha की आज्ञा को टालना possible नहीं था, वह जब पांचवी बार गया तो वह वहा का नजारा देख बहुत खुश हो गया, उसने देखा की जो मिटटी और कचरा पानी पर तैर रहा था वह अब निचे बैठ गया था और अब पानी कांच की भाति clean था, उसने clean पानी को देखते ही उसे पात्र में भर लिया और Buddha के पास गया, आनंद द्वारा लाया पानी पीते हुए Buddha ने हसते हसते कहा, यह हमारे जीवन जैसा ही हे,
वास्तव में मानव जीवन रूपी जल को भी कुविचार के बैल प्रदूषित कर देते हे, ऐसी परिश्थितियो में हमे विचलित नहीं होना चाहिए, झरने के जैसे धीरज रखकर थोड़ी प्रतीक्षा कर लेनी चाहिए, थोड़ी देरमे सब ठीक ठाक जिस तरह तुम पात्र में पानी भरकर लाये ऐसा हो जाता हे.
यह पूरी story का सार यह हे की, हम सबसे ज्यादा यदि किसी बात की उपेक्षा करते हे तो वह धीरज ही हे, लेकिन यदि हम थोड़ी देर धीरज रखे और प्रतीक्षा करे तो अनुकूल फल की प्राप्ति जरुर होती हे.