- Mahesh Beldar
Why do we forget things sometimes?
कई बार हम चीजो को भूल जाते हे, जैसे हमने कही पर mobile रख दिया और हम भूल गए, घर की चाबी कही पर रख दी और हम भूल गए, किसी के घर गए और दूसरी बार उसके घर का number भूल गए, ऐसा क्यों होता हे की हम चीजो को भूल जाते हे? हमे वह याद नहीं रहता, हमे याद नहीं आता और हम परेशान हो जाते हे, ज्यादातर लोगो की यह समस्या होती हे.

Why do we forget something? How we can remember anything?
इसकी वजह हे हम चीजो की और कभी ध्यान ही नहीं देते, कभी उनको हम observe नहीं करते, mind को remind नहीं करते.
चीजे हमे याद कब रहेगी जब हम उन पर ध्यान देंगे, आप अपनी घडी रोज पहनते हे, दिन में कई बार उसमे time भी देखते हे, लेकिन यदि आपको यह पूछ लिया जाए की आप की घडी में जो second बताने वाली छोटी सुई हे उसका color कौन सा हे तो ज्यादातर लोगो को यह पता नहीं होगा.
Job Interview में भी कई बार हमारी observation skill को check करने के लिए एक सवाल पूछा जाता हे, जैसे "आप यहाँ कितनी सीडीया चढ़कर आये?"
Interview जहा लिया जा रहा था वह office second floor पर थी और आप वहा सीडीया चढ़ कर ही गये थे.
कई बार हम हमारे relatives, friends के वहा जाते हे, मान लीजिये की हम हमारे किसी friend के वहा गये, उसका घर किसी apartment हे और उसका flat का number हे F-503, जो हमने उस से Phone करके पूछा हुआ हे, हम इस बार तो उसके घर पहुच गये लेकिन जब हम दूसरी बार उसके घर जायेंगे तो हम 403, 503, 505 जैसे नम्बरों में ही confuse रहेंगे और हमे उसका घर नहीं मिलेगा.
ऐसा क्यों?
क्योकि हम चीजो की और ध्यान ही नहीं देते, हम ध्यान नहीं देते की हमारी घडी की सुई का रंग क्या हे, हम ध्यान नहीं देते की हम कितनी सीडी चढ़ कर गये हे, हम ध्यान नहीं देते की उसके घर का नंबर क्या था, बस हम अपने विचारो में ही खोये रहते हे, अपने आप में ही मशगुल रहते हे.
में Ramesh की story आपको सुनाता हु, वह job से घर आया, वह जब आया तो वह phone पर किसी से बात कर रहा था, उसने अपने घर का दरवाजा खोला, फ़ोन पर उसकी बातचीत चालू थी, घर की चाबी उसके हाथ में थी, उसको प्यास लगी थी, उसने freeze में से bottle निकाला और पानी पीया, उस दौरान उसने चाबी को उधर ही छोड़ दिया, वह अपने room में गया, थोड़ी देर bed पर बैठकर बातचीत की, बातचीत खत्म होने के बाद, bathroom में जाकर हाथ-पैर धोये, कपडे change किये फिर वह वापस आकर रूम में बैठा अब उसे diary की जरुरत पड़ी जो अलमारी में रखी थी, अलमारी को lock था जिसकी चाबी उसी घर की चाबी के साथ थी अब वह चाबी को ढूंढने लगा, वह bathroom में ढूंढने लगा, room में ढूंढने लगा, लेकिन वह उसको मिल नहीं रही थी, कैसे मिलती उसने चाबी को वहा रखा ही नहीं था, कहा रखा था freeze के पास.
चाबी मिल क्यों नहीं रही थी? क्योकि चाबी रखते वक़्त उसका ध्यान तो फ़ोन पर बातचीत में था, चाबी वाली बात तो उसके दिमाग में register ही नहीं हुई थी, उसने उसको तो अपने दिमाग में रखा ही नहीं था, हमने जिस चीज को जिस जगह रखा नहीं होगा, वह चीज हमे वहा कैसे मिलेगी?
जैसे बहोत पुरानी एक story हे जिसमे एक आदमी की अंगूठी कही अँधेरे में खो जाती हे, अब वहा पर तो अँधेरा था तो उस आदमी ने क्या किया? उस अंगूठी को जहा लाइट का उजाला था वहा आकर खोजने लगा, एक आदमी ने उसे कुछ खोजते देखा तो पूछा? भाई क्या खोज रहे हो? उसने जवाब दिया, अंगूठी, उसने पूछा की क्या यही पर खो गयी थो, खोजने वाले व्यक्ति ने जवाब दिया की नहीं वह तो वहा अँधेरे में खो गई थी लेकिन यहाँ उजाला हे तो में यहाँ उसे ढूंढ रहा हु, अब वह वहा कैसे मिलेगी?
हम चीजो को भूल क्यों जाते हे? क्योकि हम चीजो को दिमाग में रखते नहीं, अब जो चीज जहा रखी नहीं होगी वहा ढूंढ ने से कैसे मिलेगी? पहले वहा रखो तो सही? मतलब ध्यान तो दो, फिर देखो कैसे नहीं मिलती?
चीजो पर ध्यान देकर हम उन्हें अपने दिमाग में रख सकते हे.
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