- Mahesh Beldar
Deep but very useful meaning of Karm Karo Fal ki Chinta Mat Karo
"कर्म करो फल की चिंता मत करो" इस वाक्य को आपने कई बार अपने teacher से, दोस्तों से, रिश्तेदारों से, लोगो से जरुर सुना होगा.

आइये आज 'कर्म करो' - 'फल की चिंता मत करो', इन दो शब्दों को अलग अलग कर समझते हे.
Unlock the real meaning of "karm karo fal ki chinta mat karo" for success in life
कर्म करो - हम किसी भी काम को कब कर सकते हे? वर्तमान में, वर्तमान में ही हम किसी भी काम को कर सकते हे, हम न तो उसे भूतकाल में कर सकते हे, न भविष्य काल में, केवल वर्तमान में कर सकते हे.
फल की चिंता मत करो - हमे किसकी चिंता होती हे, भविष्य की, यदि हम फल की चिंता करते रहेंगे तो, हमेशा हम future के बारे में ही सोचते रहेंगे, और इस वजह से हमारा ध्यान कभी वर्तमान में नहीं रहेगा, मतलब की हम जो काम कर रहे हे उसमे हमारा ध्यान नहीं रहेगा, और यदि हमारा ध्यान काम में नहीं रहेगा तो, जो भी काम हम कर रहे होंगे वह ठीक तरह से नहीं होगा, यदि काम ठीक तरह से नहीं होगा तो उसका फल भी अच्छा नहीं मिलेगा.
इसलिए ऐसा कहा गया हे की, आप सिर्फ कर्म करो फल की चिंता छोड़ दो.
जैसे आपने 5 लाख रूपये invest कर, बड़ा hall किराए पर रखकर dance class शुरू किया, जहा आप बच्चो को dance सिखा रहे हे, अभी शुरुआत में आपके यहाँ 10-15 बच्चे ही dance सिखने आ रहे हे, आपके दिमाग में हमेशा यही विचार चलता रहता हे की, कब बच्चो की संख्या बढ़ेगी, मेने 5 लाख रूपये का investment किया हे plus 10000 रूपये दूकान का भी भाडा हे, यदि बच्चे नहीं बढे तो, में तो दूकान का भाडा भी भरपाई नहीं कर पाऊंगा, और यही चिंता के चलते जो 10 -15 बच्चे अभी आ रहे हे उनको भी आप ठीक तरह से dance नहीं सिखा पाते, so बाहर लोगो में, market में आपका नाम शुरुआत में famous होने के बजाय खराब हो रहा हे और इस वजह से नये बच्चे तो आपके यहाँ dance सिखने आ नहीं रहे, लेकिन जो आ रहे हे वह भी एक एक कर बंध हो रहे हे.
इस तरह यदि केवल फल की चिंता करते रहोगे तो काम अच्छा नहीं होगा और यदि काम अच्छा नहीं होगा तो उसका फल भी अच्छा नहीं मिलेगा,
इसलिए कर्म करो फल की चिंता छोड़ दो, यदि कर्म बढ़िया होगा तो फल बढ़िया जरुर मिलेगा.
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