- Mahesh Beldar
Do not believe in everything you see or hear
एक गाव में एक विधुर पुरुष अपने इकलोते लड़के के साथ रहता था, वह विधुर पुरुष business करता था, एक दिन जब वह business के सिलसिले से बाहर गया था तब गाव में डाकुओ ने आक्रमण कर दिया, काफी लोग मारे गये, कई लोगो के घर जला दिए गये और जाते जाते वह उस व्यापारी के लड़के को उठा ले गए, व्यापारी जब गाव लौटा तब गाव में हुए विनाश को देखकर वह मूर्छित हो गया, जब उसे होश आया तब वह रोते रोते अपने लडके को खोजने लगा.
जब वह गाव में अपने लड़के की खोज में घूम रहा था तब उसे अपने लड़के जैसी ही height-body वाले एक बालक की आधी जली हुई लाश मिली, वह बहुत रोया और अंत्येष्टि खत्म कर अस्थियो को एक थैली में भर ली.
थोड़े दिनों बाद वह लड़का डाकुओ की चुगाल से भागकर गाव में आ गया, वह आधी रात को घर पंहुचा, घर का दरवाजा खत खताया, व्यापारी ने नींद में पूछा, कौन हे, लड़के ने बाहर से जवाब दिया, में आपका बेटा, दुखी व्यापारी को लगा की कोई लड़का मजाक कर रहा हे इसलिए उसने गुस्से में आकर कहा, मेरा कोई बेटा नहीं हे तुम यहाँ से चले जाओ, यह सुन वह लड़का रोने लगा, थोड़ी देर लड़के ने दरवाजा खुलने की राह देखि, जब दरवाजा नहीं खुला तब वह वापस लोट गया और फिर पिता और पुत्र जीवन में कभी नहीं मिले.

Do not believe in everything that you hear or see
यह कथा सुनाकर बुध्ध ने कहा, जीवन में आप किसी बात को सत्य मानकर उसके साथ भावना से जुड़ते हे, उसके कारण सत्य सामने होने के बावजूद हमे दीखता नहीं हे, सत्य के साथ लगाव होने के बावजूद यह भी जरुरी हे की जिस बात को हमने सत्य मान ली हे उसकी जांच के लिए भी हम सजग रहे, क्युकी कई बार आँखों देखि और कानो से सुनी बात भी सच नहीं होती, फिर ऐसा न हो की सत्य अंधश्रद्धा बन जाए और हमे बाद में पछताना पड़े.
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